अब तक हमने परमाणु संरचना से जुड़ी विभिन्न जानकारियां प्राप्त की अब हम इससे आगे की जानकारियां प्राप्त करेंगे।
समस्थानिक (Isotpos )
एक ही तत्व के ऐसे परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक (परमाणु संख्या ) तो समान हो लेकिन द्रव्यमान संख्या अलग-अलग हो उन्हें समस्थानिक कहा जाता है । जैसे हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं ।
प्रोटियम (प्रोटोन 1 , न्यूट्रॉन 0 ) द्रव्यमान संख्या 1
ड्यूटिरियम ( प्रोटोन 1 , न्यूट्रॉन 1) द्रव्यमान संख्या 2
ट्राईटियम ( प्रोटोन 1 , न्यूट्रॉन 2 ) द्रव्यमान संख्या 3
समभारिक (Isobars)
अलग-अलग तत्वों के ऐसे परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या तो समान हो लेकिन परमाणु क्रमांक अर्थात प्रोटोन की संख्या अलग-अलग हो उन्हें समभारिक कहते हैं।
उदाहरण :- आर्गन (Ar) तथा कैल्सियम (Ca) दोनों की द्रव्यमान संख्या 40 होती है ।लेकिन दोनों के परमाणु क्रमांक अलग-अलग होते होता है। आर्गन का परमाणु क्रमांक 18 और कैल्शियम का परमाणु क्रमांक 20 होता है । इस प्रकार दोनों आपस में समभारिक है
आर्गन ( प्रोटोन 18,न्यूट्रॉन 22) द्रव्यमान संख्या 40
कैल्शियम (प्रोटोन 20, न्यूट्रॉन 20)द्रव्यमान संख्या 40
परमाणु में इलेक्ट्रॉन की स्थिति या भरने का क्रम
यह तो हम पढ़ चुके हैं कि इलेक्ट्रॉन परमाणु में नाभिक के चारों ओर विभिन्न कोशों में चक्कर लगाते रहते हैं ।
लेकिन इनमें इलेक्ट्रॉन भरने का एक विशेष क्रम होता है और इन कोशों को K,L,M,N,O
( 1,2,3,4,5) नाम दिया जाता है ।
परमाणु के प्रत्येक कोश में उपकोश भी पाए जाते हैं जिन्हें " s,p,d,f " से व्यक्त किया जाता है।
प्रत्येक कोश में भरे जा सकने वाले अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या निम्न प्रकार से की जाती है।
इस प्रकार प्रथम कोश में अधिकतम 2 इलेक्ट्रॉन ,द्वितीय कोश में अधिकतम 8 इलेक्ट्रॉन, तीसरे कोश में अधिकतम 18 इलेक्ट्रान, चतुर्थ कोश में अधिकतम 32 इलेक्ट्रॉन तथा पांचवे कोश में अधिकतम 50 इलेक्ट्रॉन भरे जा सकते हैं
परमाणु में इलेक्ट्रॉन का वितरण विशेष तरीके से होता है
यह तो हम जानते हैं कि परमाणु आवेश की दृष्टि से उदासीन होता है लेकिन इसके साथ साथ परमाणु अस्थाई भी होता है ।और वह स्थाई होने की लगातार कोशिश करता है ।
परमाणु स्थाई तब होता है जब उसके बाह्मतम कोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉन की संख्या 8 हो । लेकिन परमाणु के प्रथम कोश में 2 इलेक्ट्रॉन ही भरे जा सकते हैं इसलिए प्रथम कोश में 2 इलेक्ट्रॉन होने पर ही परमाणु स्थाई हो जाता है।
इस प्रकार स्थाई होने के लिए परमाणु अपने बाह्यतम कोश में 8 इलेक्ट्रॉन रखने की प्रवृत्ति रखता है । इसे अष्टक का नियम भी कहा जाता है ।
इस नियम के तहत परमाणु अपने बाह्यतम कोश में 8 इलेक्ट्रॉन रखने के लिए या तो इलेक्ट्रॉन का दान करता है या फिर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है । या फिर इलेक्ट्रॉनों का साझा करता है
इस प्रकार जब परमाणु इलेक्ट्रॉन का दान या इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करता है तो वह आयन में बदल जाता है और किसी अन्य आयन से संयोग कर अणु का निर्माण करता है।
धनायन व ऋण आयन का निर्माण
परमाणु जब इलेक्ट्रॉन का दान करता है तो उस पर प्रोटोन की तुलना में इलेक्ट्रॉन की कमी हो जाती है ।
अर्थात धन आवेश की तुलना में ऋण आवेश कम हो जाता है । इस स्थिति में परमाणु पर धन आवेश आ जाता है और वह एक धनायन में बदल जाता है।
इसी प्रकार जब परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तो प्रोटॉन की तुलना में इलेक्ट्रॉन अधिक हो जाते हैं ।अर्थात धन आवेश की तुलना में ऋण आवेश की मात्रा बढ़ जाती है । इस स्थिति में परमाणु पर ऋण आवेश आ जाता है और वह एक ऋण आयन में बदल जाता है।
जरूरी बात
यहां एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि परमाणु कभी भी प्रोटोन का दान या ग्रहण नहीं करता है ।क्योंकि प्रोटोन परमाणु के नाभिक में होते हैं ।इसलिए परमाणु चाहे इलेक्ट्रॉन त्यागे या ग्रहण करें किसी भी परमाणु के नाभिक में पाए जाने वाले प्रोटोन की संख्या में कोई फर्क नहीं पड़ता है और प्रोटोन की संख्या सदैव समान ही रहती है चाहे परमाणु आयन बने या फिर परमाण्विक अवस्था में ही रहे।
परमाणु कैसे एक आयन में बदल जाता है और क्यों बदल जाता है । इसके लिए हमें s p d f कक्षकों मैं इलेक्ट्रॉनों के वितरण के बारे में जानकारी होना जरूरी है। जिसकी जानकारी हम आगे की पोस्ट में करेंगे
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