परमाणु संरचना (Atomic Structure) 


अब तक हमने आवर्त सारणी के शुरू के 30 तत्व, उनके प्रतीक और उनके परमाणु क्रमांक के बारे में पढ़ा ,साथ ही यह जाना कि तत्वों के प्रतीक कैसे रखे गए हैं और परमाणु तथा अणुओं की परिभाषा के बारे में भी जाना । अब हम पढ़ेंगे परमाणु के अंदर पाए जाने वाले तीन कणों के बारे में। 

परमाणु में तीन प्रकार के कण पाए जाते हैं

1. इलेक्ट्रॉन 

2. प्रोटॉन 

3. न्यूट्रॉन


अलग-अलग समय पर अलग-अलग वैज्ञानिकों ने इन तीनों कणों की खोज की है..

यहां हम विस्तार से जानेंगे कि इन तीनों के कणों की खोज किसने की और इन कणों के  प्रमुख गुणों के बारे में


Note - इन तीनों कणों की खोज के बारे में अलग-अलग किताबों में अलग-अलग बातें बताई गई है । लेकिन  यहां हम कक्षा 10 तक जो जानकारियां दी गई है उसके हिसाब से इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के शोधकर्ताओं के बारे में तथा उनके खोज करने के वर्ष के बारे में जानेंगे। 


1.इलेक्ट्रान (Electron) :- इलेक्ट्रॉन की खोज जे जे थॉमसन नामक वैज्ञानिक ने 1897 में की थी।

इलेक्ट्रॉन परमाणु मैं पाया जाने वाला बहुत ही हल्का कण होता है और इसका द्रव्यमान इतना कम होता है कि जब परमाणु के द्रव्यमान की गणना की जाती है तो इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान को गिना ही नहीं जाता है


अर्थात इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान को नगण्य  मान लिया जाता है। 

ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान की तुलना में लगभग 1837 गुना कम होता है ।


( उदाहरण के तौर पर यूं कहें किअगर प्रोटोन 1837 किलो का है तो इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान मात्र 1 किलो होगा ।)

Note - नीचे सारणी दी गई है जिसमें परमाणु के तीनों कणों के द्रव्यमान परमाणु द्रव्यमान इकाई (Atomic Mass Unit - amu ) तथा किलोग्राम (kg) में दिए गए हैं। साथ ही आवेश की मात्रा भी दी गयी है।


यदि आवेश की बात करें तो इलेक्ट्रॉन पर ऋण आवेश होता है और इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक ( Neclues) के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं।


2 . प्रोटोन (Proton) - प्रोटॉन की खोज की ई. गोल्डस्टीन नामक वैज्ञानिक ने की थी ।

प्रोटोन पर धन आवेश होता है और यदि द्रव्यमान की बात करें तो प्रोटोन का द्रव्यमान परमाणु में पाए जाने वाले इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान की तुलना में लगभग 1837 गुना अधिक होता है ।


(उदाहरण के तौर पर हम यह मान सकते हैं कि यदि इलेक्ट्रॉन 1 किलो का है तो प्रोटॉन लगभग 1837 किलो का होगा ।)

प्रोटोन सदैव परमाणु के नाभिक में पाया जाता है और जब किसी परमाणु के परमाणु द्रव्यमान की गणना की जाती है तो न्यूट्रॉन के साथ-साथ प्रोटोन का द्रव्यमान भी गिना जाता है। 


नोट - कुछ किताबों में प्रोटॉन की खोज का श्रेय अर्नेस्ट रदरफोर्ड को भी दिया जाता है और खोज करने का वर्ष भी अलग दिया जाता है ।

क्योंकि गोल्डस्टीन ने 1886 में  प्रयोग करके प्रोटोन जैसे कण के बारे में दुनिया को बताया था।  और रदरफोर्ड ने 1920 में इसका नाम प्रोटोन  दिया । लेकिन यहां कक्षा 10 तक की बात करते हुए आपको जानकारी दी जा रही है । 


3. न्यूट्रॉन (Neutron)- न्यूट्रॉन की खोज 1932 में जेम्स चैडविक नामक वैज्ञानिक ने की थी ।


न्यूट्रॉन पर कोई भी आवेश नहीं पाया जाता  अर्थात न्यूट्रॉन आवेश की दृष्टि से उदासीन या आवेश रहित होता है ।


न्यूट्रॉन का भार परमाणु में पाए जाने वाले एक अन्य कण प्रोटोन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है ।

अतः जब किसी परमाणु के द्रव्यमान की गणना की जाती है तो प्रोटोन के साथ-साथ न्यूट्रॉन के द्रव्यमान को भी जोड़ा जाता है ।

न्यूट्रॉन परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन के साथ-साथ उपस्थित होता है। अर्थात परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन दोनों ही पाए जाते हैं।


नोट - क्योंकि परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन पाए जाते हैं अतः परमाणु का संपूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में ही केंद्रित होता है । और  इलेक्ट्रॉन नाभिक के बाहर विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं।  लेकिन इलेक्ट्रॉन का भार इतना कम होता है कि उसे नगण्य माना जाता है। 


नोट - उपरोक्त बातों से एक बात और स्पष्ट हो जाती है कि परमाणु का नाभिक आवेश की दृष्टि से धन आवेशित होता है। 

ऐसा इसलिए है क्योंकि परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन पाए जाते हैं और प्रोटॉन पर धन आवेश होता है ।


जबकि न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता तो ...कुल मिलाकर परमाणु के नाभिक पर सिर्फ धन आवेश ही रहता है । और इसी वजह से परमाणु का नाभिक धन आवेशित होता है।


नोट - अगर परमाणु के कुल आवेश की बात की जाए तो परमाणु आवेश की दृष्टि से उदासीन होता है ।


ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी भी परमाणु के अंदर पाए जाने वाले प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या सदैव बराबर होती है ।

और इन दोनों पर आवेश की मात्रा समान होती है लेकिन विपरीत होता है ।  तो इन दोनों के आवेश एक दूसरे को नष्ट कर देते हैं और कुल मिलाकर परमाणु आवेश की दृष्टि से उदासीन हो जाता है।





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